Saturday, April 26, 2008

'किनारा'


हर रोज जब किनारे को देखता हु
तब ऐसा लगता है कि,
उस सागर के पानीमें एक
कागज की नाव डुब रही है और
बहोत सारे मुसाफिरों कि
परछाई तैर रही है.
पता नही वो परछाई
कबतक तैरती रहेगी?

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